Sunday, May 28

सेंगोल sengol क्या है? What is sengol?

 सेंगोल शब्द दक्षिण भारत से जुड़ी हुई है। सेंगोल शब्द तमिल भाषा के शब्द 'सेमई' से लिया गया है जिसका अर्थ है सच्चाई, धर्म और निष्ठा ।

                             

सेंगोल का इतिहास

दक्षिण भारत में एक साम्राज्य हुआ करता था, जिसका नाम चोल साम्राज्य था। वहां एक समारोह मनाया जाता था। जब भी किसी राजा का सत्ता परिवर्तित होता था यानी कि किसी नए राजा का राज्य अभिषेक होता था, तो  एक उपकरण का प्रयोग किया जाता था। जिसे आज हम  सेंगोल के नाम से जानते है। 


सेंगोल अधिकार का प्रतीक है। जब भारत आजाद हुआ   । उस समय  जो तत्कालीन प्रधानमंत्री ''पंडित जवाहरलाल नेहरू" को 18 अगस्त 1947 को  सेंगोल तमिलनाडु की जनता द्वारा  दिया गया था। एक तरह कहा जाए तो संकुल भारत की आजादी का प्रतीक है।


आजादी के समय जब लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए । प.नेहरू ने अपने सहयोगियों से चर्चा की नेहरु जी ने फिर तत्कालीन वायसराय सी.गोपालाचारी जी से पूछा गोपालचारी जी सेंगोल प्रक्रिया के बारे में उन्हें बताया क्योंकि वह भी दक्षिण भारत से ही थे।





सेंगोल के चर्चे में आने का कारण?


28 मई 2023 को भारत के नए सांसद भवन का उद्घाटन होने वाला है। तत्कालीन गृहमंत्री ने इसे मध्देनजर रखते हुए बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संसद भवन भारत के लिए इतिहास, संस्कृति, विरासत परंपरा है। और इस सभ्यता को आधुनिक से जोड़ने का प्रयास है। इस दौरान एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित की जा रही है यानी कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापना किया जाएगा

                              



गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है सैंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त मित्र और उचित स्थान और कोई हो नहीं सकता।


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल की प्रथा को फिर से शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह भारतीयों को मिली सत्ता का प्रतीक था। अमित शाह ने यह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे। प्रधानमंत्री इसके बाद इसे ने संसद भवन के अंदर रखेंगे।इसका स्थान स्पीकर के सीट के नजदीक होगा।

Saturday, May 27

पोवासन वायरस क्या है।what is powassan virus

 पोवासन वायरस (POWV) एक टिक-जनित वायरस है जो फ्लेविविरिडे परिवार से संबंधित है, जो वायरस के समान परिवार है जो वेस्ट नाइल, डेंगू बुखार और जीका वायरस का कारण बनता है।  



वायरस की पहली बार पहचान 1958 में पोवासन, ओंटारियो, कनाडा में हुई थी।  पोवासन वायरस आमतौर पर एक संक्रमित टिक के काटने से मनुष्यों में फैलता है, मुख्य रूप से Ixodes scapularis टिक, जो लाइम रोग के लिए प्राथमिक वेक्टर भी है।  


POWV के दो मुख्य प्रकार हैं: क्लासिक POWV और डियर टिक वायरस (DTV)।  जबकि क्लासिक POWV ग्रेट लेक्स क्षेत्र और उत्तरपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पाया जाता है, DTV दक्षिणपूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका में पाया जाता है।  



पोवासन वायरस के संक्रमण दुर्लभ हैं, लेकिन वे गंभीर हो सकते हैं, और वायरस के लिए कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। 


 वायरस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और इसमें बुखार, सिरदर्द, उल्टी, भ्रम, दौरे और यहां तक   कि मौत भी शामिल हो सकती है। 



यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि यह वायरस आपको है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि इसका कोई खास दवा अभी नहीं है। डॉक्टर अलग-अलग दवाई लिखकर आपको सुरक्षा करेंगे।

Friday, May 26

यूरोप की अर्थव्यवस्था चरमराई।Europe ।Germany ।Economy Recession.

 जर्मनी की अर्थव्यवस्था 2023 के पहली तिमाही में फिसली। यह गिरावट 2022 की चौथी तिमाही के मंदी के कारण हुआ।


यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (Gross domestic product) तिमाही में 0.3% गिरा। इस आंकड़ों से पता चलता है कि देश मंदी की ओर जा रहा है। 


जर्मनी यूक्रेन पर रूस की आक्रमण से हुई ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। यूरोप में बढ़ते आर्थिक संकटों के कारण डॉलर  यूरो के मुकाबले कुछ महीनों के सबसे निचले स्तर पर है।


2022 के तिमाही आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद में 0.5% की कमी देखी गई थी। संघीय सांख्यिकी की एजेंसी ने 0% के प्रारंभिक अनुमान से इस तिमाही के लिए नकारात्मक वृद्धि का आंकड़ा संशोधित किया था।


डांस्के बैंक के वरिष्ठ विश्लेषक स्टीफन  मेलीन ने कहा, इस हफ्ते यह जोखिम भरा है और इससे डॉलर को यूरो के मुकाबले फायदा हुआ है।


यूरोप के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में आर्थिक संकट पुष्टि होने के कारण यूरो गिर गया, जबकि डॉलर 2 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।



msci का विश्व शेयरों का व्यापक मात्र 0.2% नीचे था, परंतु 2 दिनों के बिकवाली के बाद यह इंडेक्स लोगों की मनोदशा कम करने और डॉलर को 2 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर भेजने के लिए पर्याप्त था।


"इंवेस्को का माइक्रो रिसर्च के निर्देशक बेन जॉन्स" ने कहा दुर्भाग्य से यहां बाजार परमार करने के लिए  जोखिमों की अधिकता है।


बुधवार देर रात फिच द्वारा डाउनग्रेड वॉच पर अपनी अमेरिकी रेटिंग डालने के बाद वाशिंगटन की अल्पकालिक उधार लागत 7% से अधिक हो गई, जबकि चीन का युआन 6 महीने के निचले स्तर के पास गिर गया, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था फिर से चरमरा गई।



अमेरिकी डॉलर सूचकांक के अनुसार, जो 6 अलग-अलग मुद्राओं का मापक है, जो यूरो से अधिक होता है 0.3% से बढ़कर यानी 104.16 हो गया। जो 2 महीनों में सबसे अधिक है।


यूरो लगभग 0.2% फिसल गया जो कि $1.0715 है। 

येन के मुकाबले डॉलर 139.705 पर अपने सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच गया।


अमेरिकी मुद्रा को इस वर्ष फेडरल दर में कटौती के लिए समर्थन भी मिल गया, साथ ही अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंकों  के अकर्मक एवं कड़े प्रभाव  ढीला साबित हुआ है।



न्यूज़ीलैंड डॉलर अभी भी बुधवार को केंद्रीय बैंक के शॉक डोविश झुकाव से जूझ रहा था, जिससे 2.2% की गिरावट आई।  नवंबर के मध्य के बाद से यह 0.6077 डॉलर पर सबसे कम हिट करने के लिए 0.4% फिसल गया।


ऑस्ट्रेलिया के डॉलर ने अपने करीबी व्यापार संबंधों के कारण चीन की आर्थिक कमजोरी के प्रभाव को तीव्र रूप से महसूस किया है, जो $0.6523 के 6 1/2 महीने के निचले स्तर पर फिसल गया है।

Wednesday, May 24

वैभवी उपाध्याय की हुई निधन || vaibhavi upadhyay death story

 प्रसिद्ध टीवी सीरियल 'साराभाई वर्सेस साराभाई' में जसमीन का किरदार निभाने वाली  T.V एक्ट्रेस वैभवी उपाध्याय का मंगलवार को एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। यह दुखद हादसा 23 मई यानी मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के पास हुआ । यह एक्सीडेंट उनकी कार खाई में गिरने से हुआ बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ में रह रही है। उनकी फैमिली बॉडी को लेकर मुंबई पहुंच रही है जहां सुबह बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होना तय हुआ है । इस खबर को प्रसिद्ध निर्माता और एक्टर जेडी मजेठिया ने कंफर्म किया है। 

उन्होंने लिखा

Life is so unpredictable. 

A very fine actress, dear friend vaibhavi upadhyay popularly known as "jasmine" of sarabhai vs sarabhai passed away. She met with an accident in north. Family will bring her to Mumbai tomorrow morning around 11am for last rites. RIP vaibhavi 🙏


टेलीविजन इंडस्ट्री में वैभवी एक जाना माना नाम रही है । यह सिर्फ 32 साल की थी और इनका कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। वह बहुत सारे टीवी सीरियल में काम कर चुकी है जैसे सीआईडी और अदालत ऐसे तमाम कई सारे शो का हिस्सा रह चुकी है। हालांकि उन्हें सबसे ज्यादा पॉपुलर होने का श्रेय 'साराभाई वर्सेस साराभाई' टीवी सीरियल को जाता है। उन्होंने इस सीरियल में जैस्मिन का किरदार निभाया था। वैभवी के निधन की खबर सुनते ही बॉलीवुड इंडस्ट्री में शोक का लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर इस खबर को सुनकर सभी ने दुख जताया उनके साथ काम कर चुकी एक्ट्रेस रूपाली गांगुली ने भी सोशल मीडिया पर इस खबर को सुनकर दुख जताया और उन्होंने कहा वैभव की तस्वीर शेयर कर लिखा बहुत जल्द चली गई तुम।



हंसल मेहता ने लिखा

तीन युवक।  तीन अभिनेता।  3-4 दिनों के अंतराल में निधन हो गया।  रेस्ट इन पीस प्रिय साथियों।  यह इतना निर्दयी समय है।  उनके शोक संतप्त परिवारों के साथ प्रार्थना।

देवेन भोजनी ने ट्वीट किया

चौंका देने वाला!  एक बहुत अच्छी अभिनेत्री और एक प्रिय मित्र वैभवी उपाध्याय, जिन्हें साराभाई बनाम साराभाई की "जैस्मीन" के रूप में जाना जाता है, का निधन हो गया।  कुछ घंटे पहले उत्तर में उनका एक्सीडेंट हो गया था।  रेस्ट इन पीस वैभवी

Tuesday, May 23

जगन्नाथ मंदिर ,पुरी, ओडिशा ||Jagannath Temple, Puri, Odisa

जगन्नाथ मंदिर पुरी ओडिशा में स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध अवतार भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की नींव 12वीं से 13वीं शताब्दी में रखी गई थी। यह मंदिर हिंदू धर्म में विश्व का सबसे बड़ा चारधाम तीर्थ में से एक माना जाता है। हिंदू धर्म धर्म के हिसाब से चार धाम बदरीनाथ, द्वारिका ,रामेश्वरम और पूरी है। मान्यता है कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ गए और वहां स्नान किया, इसके बाद वह गुजरात के द्वारका गए और वहां कपड़े बदले, द्वारका के बाद उड़ीसा के पुरी में उन्होंने भोजन किया और अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया ।




पूरी में भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर है। मंदिर के सामने चौक होता है जिसे बदरी केदार की तरह माना जाता है। पूरी के इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ,उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा को संगमन के तीन मूर्तियों में दर्शाया जाता है।  यहां  सभी लकड़ी के मूर्तियां हैं, लकड़ी के मूर्तियों वाला यह देश का अनोखा मंदिर है।  जगन्नाथ मंदिर की ऐसी तमाम विशेषताएं हैं साथ ही मंदिर से जुड़े ऐसे कई  रहस्य और कहानियां है जो सदियों से एक पहेली जैसा है जिसे सुलझाना किसी वैज्ञानिक या शास्त्र विशेषज्ञ की भी बात नहीं है जो कि आज भी एक रहस्य  बनी हुई है मंदिर में समय समय पर अन्य उत्सव भी मनाए जाते हैं जैसे रथयात्रा, छत्र यात्रा आदि।



 सिंहद्वार का रहस्य

जगन्नाथ पुरी मंदिर समंदर के किनारे पर है मंदिर के मुख्य द्वार या जिसे सिंहद्वार भी कहा जाता है, कहा जाता है कि जब सिंहद्वार में कदम बाहर की ओर रहती है तब लहरों की आवाज साफ-साफ सुनाई देती है जैसे ही सिंहद्वार के अंदर कदम जाता है लहरों की आवाज गुमनाम सी हो जाती है इसी तरह द्वार से निकलते वक्त वापसी में जैसे ही पहला कदम बाहर निकालते हैं समंदर की लहरों की आवाज फिर से चहकने लगती है।

यह भी कहा जाता है सिंहद्वार में कदम रखने से पहले श्मशान घाट में आसपास जलाई जाने वाली चिताओं की गंध भी आती है लेकिन जैसे ही कदम द्वार के अंदर जाता है यह गंध भी खत्म हो जाती है यह भी सिंहद्वार के एक रहस्य में अब तक बनी हुई है।


मंदिर के झंडे का रहस्य

जगन्नाथ मंदिर करीब करीब चार लाख (400000) वर्ग फीट एरिया में स्थित है। इसकी ऊंचाई 214 फिट है।  आमतौर पर दिन में किसी वक्त  किसी भी इमारत या चीज या इंसान की परछाई जमीन पर दिखाई देती है लेकिन जगन्नाथ मंदिर की परछाई कभी भी किसी ने नहीं देखी। इसके अलावा मंदिर के शिखर पर जो झंडा लगा है उसे लेकर भी बड़ा रहस्य है इस झंडे को हर रोज बदलने का नियम है मान्यता यह है कि अगर किसी दिन झंडे को नहीं बदला गया तो शायद मंदिर अगले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा  इसके अलावा यह झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में उड़ता रहता है। 

मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है। कहा जाता है कि पूरी के किसी भी कोने से अगर इस सुदर्शन चक्र को देखा जाए तो उसका मुंह आपकी तरफ ही नजर आता है।

गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी

 मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया । इसके ऊपर से अभिमान नहीं उड़ाया जा सकता मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबद ऊपर पक्ष बैठ जाते हैं या आस-पास उड़ते हुए नजर आते हैं।


दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर

भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद बनाने के लिए ₹500 रसोईया तथा 300 सहयोगियों के साथ बनते हैं। लाखों  भक्त यहां प्रसाद पाने आते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों ना बनाया गया हो लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है। मंदिर के अंदर  पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए ही रहता है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी व्यर्थ नहीं जाती है कहा जाता है कि जैसे जैसे समय होता है प्रसाद अपने आप खत्म होते जाता है और प्रसाद कभी व्यर्थ नहीं गया है। मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पड़ी पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश नीचे की तरफ एक के बाद एक पकते जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना सबसे पहले पक जाता है ।




विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा

आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। यह रथ यात्रा 5 किलोमीटर में  फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में होती है। रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इंद्रदयुम्न की पत्नी थी इसलिए रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है। अपनी मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते हैं। आषाढ़ शुक्ल दशमी को वापसी की यात्रा होती है। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन है और भाई बलभद्र का रथ ताल ध्वज है। पूरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हैं जिसे छेरा पैररन कहते हैं।


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