सेंगोल शब्द दक्षिण भारत से जुड़ी हुई है। सेंगोल शब्द तमिल भाषा के शब्द 'सेमई' से लिया गया है जिसका अर्थ है सच्चाई, धर्म और निष्ठा ।
सेंगोल का इतिहास
दक्षिण भारत में एक साम्राज्य हुआ करता था, जिसका नाम चोल साम्राज्य था। वहां एक समारोह मनाया जाता था। जब भी किसी राजा का सत्ता परिवर्तित होता था यानी कि किसी नए राजा का राज्य अभिषेक होता था, तो एक उपकरण का प्रयोग किया जाता था। जिसे आज हम सेंगोल के नाम से जानते है।
सेंगोल अधिकार का प्रतीक है। जब भारत आजाद हुआ । उस समय जो तत्कालीन प्रधानमंत्री ''पंडित जवाहरलाल नेहरू" को 18 अगस्त 1947 को सेंगोल तमिलनाडु की जनता द्वारा दिया गया था। एक तरह कहा जाए तो संकुल भारत की आजादी का प्रतीक है।
आजादी के समय जब लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान क्या आयोजन होना चाहिए । प.नेहरू ने अपने सहयोगियों से चर्चा की नेहरु जी ने फिर तत्कालीन वायसराय सी.गोपालाचारी जी से पूछा गोपालचारी जी सेंगोल प्रक्रिया के बारे में उन्हें बताया क्योंकि वह भी दक्षिण भारत से ही थे।
सेंगोल के चर्चे में आने का कारण?
28 मई 2023 को भारत के नए सांसद भवन का उद्घाटन होने वाला है। तत्कालीन गृहमंत्री ने इसे मध्देनजर रखते हुए बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संसद भवन भारत के लिए इतिहास, संस्कृति, विरासत परंपरा है। और इस सभ्यता को आधुनिक से जोड़ने का प्रयास है। इस दौरान एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित की जा रही है यानी कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापना किया जाएगा
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है सैंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त मित्र और उचित स्थान और कोई हो नहीं सकता।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल की प्रथा को फिर से शुरू करने की घोषणा की और कहा कि यह भारतीयों को मिली सत्ता का प्रतीक था। अमित शाह ने यह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी इस नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे। प्रधानमंत्री इसके बाद इसे ने संसद भवन के अंदर रखेंगे।इसका स्थान स्पीकर के सीट के नजदीक होगा।